« घर मेरा बिलआख़िर ये बाज़ार बना देंगे | इक मशाल क्रांति की …. » |
मोम मगर दिल उनका ठण्डा यूँ कि सख़्त पत्थर जैसा
Hindi Poetry |
मोम मगर दिल उनका ठण्डा यूँ कि सख़्त पत्थर जैसा
कहाँ प्यार की गर्मी बाबा लगे बरफ़ के घर जैसा
अपनापन हो जाय अजूबा बनें अजनबी सारे लोग
ना बाबा ना नहीं बनाना हमको गाँव शहर जैसा
बतलाते हैं मायानगरी ये अपनी दुनिया ठहरी
नहीं हक़ीक़त वैसी इसकी दिखता है मन्जर जैसा
आज तवाफ़े गुलशन में तू बिलकुल मेरे पास लगी
चूमा शोख कली ने झुक कर मुझको तेरे अधर जैसा
अक्सर क्यों होता है ऐसा रहते वो हालात नहीं
दिखलाया जाता टी वी पर खबरों में दिन भर जैसा