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वो गीत नहीं गा पाया ….! (गीत)
Hindi Poetry, Podcast |
वो गीत नहीं गा पाया ….!
इक गीत था लिखना चाहा, वो गीत नहीं लिख पाया,
दिल खोल के गाना चाहा, वो गीत नहीं गा पाया…..!
जिसकी हर इक पंक्ती में, अविरत उत्साह भरा हो,
जैसे हारे राही को, मंजिल ख़ुद आन मिली हो,
वो ऐसी ही इक कविता, ना कुछ लिख, कुछ सुन पाया,
दिल खोल के गाना चाहा, वो गीत नहीं गा पाया….…..!
सरगम के मधुर सुरों में, धुन का भण्डार भरा है,
जाने कैसे वो सुर हैं, दिल जिनको ढूँढ़ रहा है…
जिससे दिल होय तसल्ली, वो धुन मैं ढूँढ़ न पाया,
दिल खोल के गाना चाहा, वो गीत नहीं गा पाया ..…..!
हर जीवन ही क्या ऐसा, जाने क्या खोज रहा है .…
ना समझ कभी ये आया, दिल की सत इच्छा क्या है,
और इस ही भ्रम में रहकर, हर जीवन अंत में आया…
दिल खोल के गाना चाहा, वो गीत नहीं गा पाया …..!
फिर भी बहुमूल्य है जीवन जो कुछ भी अनुभव आया
प्रभुप्रेम में हो कर तन्मय जीवन को सीखा, गाया
जीवन से प्यार बहुत है, कविता का जुनूँ जो पाया
इक गीत था लिखना चाहा ना अब तक मैं लिख पाया ….
दिल खोल के गाना चाहा, वो गीत नहीं गा पाया…..!
” विश्व नन्द “
wow….kya baat hai …. dilkash aavaaz men dilkash geet ka majaa hee kuch or hota hai….is khoobsoorat geet ke liye haardik badhaaee sweekaar krain aadrneey Vishvnand jee.