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हक़ीक़त को नज़रअन्दाज़ करिये।
Hindi Poetry |
हक़ीक़त को नज़रअन्दाज़ करिये।
मज़े से मूंद आँखें राज करिये।
क़फ़स को आसमां का दीजे दर्ज़ा
औ डैने खोलकर परवाज़ करिये।
दिखाकर इन्तिहा दादागिरी की…
जहां से जी करे आग़ाज़ करिये।
भले ही जाय दुनिया सारी चूल्हे
फक़त आक़ा को मत नाराज़ करिये।
जिसे शर्मिन्दगी का बोलें बायस
वही करिये फिर उसपे नाज़ करिये।
Thank you for writing an inspiring poetry. Uplifting and asking to get up and go. India needs poets like you. I live abroad.
And love inspiring thoughts to get out of slavery and closed mindset.
बेहतरीन ! लाजवाब प्रस्तुति ! वाह ! सादर नमन आदरणीय एस॰एन॰ साहब !!! 🙂
(Y) Vaah vaah, kyaa baat hai,
bahut badhiyaa aur arthpoorn andaazebayaan…! 😉