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काश

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शम्मा ए उम्मीद कभी न बुझाता
अगर मैं हवा होता

कोई परवाना न मरता जल कर
अगर मैं शमा होता

उड़ा ले जाता रंजो गम सब का
अगर में धुआ होता

सिवाय इश्क के मैं सब पे बे असर होता
अगर मैं नशा होता

लिपटा रहता आशिकों के दामन से
अगर मैं मजा होता

भूल कर भी न किसी को मय्यसर होता
अगर मैं सजा होता

बक्श देता हर शक्श को उसकी मोहब्बत साहिल
अगर मैं खुदा होता

One Comment

  1. Vishvnand says:

    (Y)Vaah vaah
    Bahut hii khoobsoorat saa lagaa
    aapkaa ye ahsaas aur andaazebayaan …!

    Hearty commends …!

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