« कलियां चुपके से चटकीं हैं | राज खज़ाने के चोरी में शामिल ख़ुद था राजा भी। » |
तबीयत बड़ी आज ‘डल’ हो रही है।
Hindi Poetry |
पहल दर पहल दर पहल हो रही है।
न क्यों ज़िन्दगी फिर सहल हो रही है।
जो मुमकिन हो सरकार आ जाइये ना
तबीयत बड़ी आज ‘डल’ हो रही है।
नदारद रहा हो सुकूं चैन सारा
रक़ीबों की साजिश सफल हो रही है।
वही के वही सारे मंजर लगे हैं
वो कहते थे रद्दो बदल हो रही है।
भरी जा रही मांग है ख़ूने दिल से
चलो अब सुहागिन ग़ज़ल हो रही है।
जो मुमकिन हो सरकार आ जाइये ना
तबीयत बड़ी आज ‘डल’ हो रही है।
डल होती तबियत को खिला दिया आपने…
thanks a lot.
Vaah, bahut badhiyaa ….! 🙂