« बेअसर बंदूक है जिल्ले इलाही आप की। | आरती मंदिरों मस्जिदों में आज़ान ढूंढते रहे… » |
एक सांस…और एक सांस
Hindi Poetry |
एक सांस ज़िंदगी को
दूर से खींच है लाती
एक सांस मौत को दूर
तक है छोड़ आती
पर ये ज़िंदगी ही क्यों
मौत को साथ है लाती ?
…और एक दिन एक सांस
बेवफ़ाई का बहाना है
बन जाती!
जो खींच लाती थी ज़िंदगी
वही सांस अब मौत मे थमकर
चलते रहने को मुकर
है जाती…
– – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – –
विश्व कविता दिवस पर, एक रिश्तेदार की रुखसती पर
मेरी यह पुरानी कविता…जो ज़िंदगी और मौत,
दोनों की रिश्तेदार है।
Lovingly & meaningful ….!
Commends…!
bhaavpoorn prastuti aadrneey