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एक सांस…और एक सांस

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Hindi Poetry

एक सांस ज़िंदगी को
दूर से खींच है लाती
एक सांस मौत को दूर
तक है छोड़ आती
पर ये ज़िंदगी ही क्यों
मौत को साथ है लाती ?

…और एक दिन एक सांस
बेवफ़ाई का बहाना है
बन जाती!

जो खींच लाती थी ज़िंदगी
वही सांस अब मौत मे थमकर
चलते रहने को मुकर
है जाती…

– – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – –
विश्व कविता दिवस पर, एक रिश्तेदार की रुखसती पर
मेरी यह पुरानी कविता…जो ज़िंदगी और मौत,
दोनों की रिश्तेदार है।

2 Comments

  1. Vishvnand says:

    Lovingly & meaningful ….!
    Commends…!

  2. sushil sarna says:

    bhaavpoorn prastuti aadrneey

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