« झोलों में बारूद भरा है घर में पाव न आटा है। | एक सांस…और एक सांस » |
बेअसर बंदूक है जिल्ले इलाही आप की।
Hindi Poetry |
और कितने दिन चलेगी बादशाही आप की।
मान लीजे तयशुदा ठहरी तबाही आप की।
प्यास ही ढाले हलक़ में ये पियासों के फक़त
है करामाती जनाबे मन सुराही आप की।
हर नफ़स में ये मुसलसल मौत से दो चार है
ली तो थी बीमारे ग़म ने बस दवा ही आप की।
बढ़ती जातीं हैं रियाया की सतत ग़ुस्ताख़ियाँ
बेअसर बंदूक है जिल्ले इलाही आप की।
कौन पत्थर का है टुकड़ा कौन है लालो ग़ुहर
जान ही पायी वक़त कब कमनिग़ाही आप की।
फैसला होगा बिलाख़िर क्या सभी हैं जानते
आप ही मुंसिफ़ यहाँ तिस पर गवाही आप की।
Bahut badhiyaa abhivyakti,
Commends
Bahut Umda!