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राज खज़ाने के चोरी में शामिल ख़ुद था राजा भी।
Hindi Poetry |
शुरू शुरू में लगा ज़रा भी नहीं हमें अंदाज़ा भी।
राज खज़ाने के चोरी में शामिल ख़ुद था राजा भी।
हम तो पट खुलने की करते रहे प्रतीक्षा पंगत में,
उस्तादों ने ढूंढ़ रखा था उधर चोर दरवाज़ा भी।
भगवद् भजन नहीं सुनना था, सुननी ठकुरसुहाती थी
हमसे हुआ न ये तो फेंका बाहर पेटी बाजा भी।
नियम ज़ाब्ते की जो हमने बारंबार दुहाई दी
हमको पड़ा भुगतना उसका बहरहाल ख़मियाजा भी।
उमर बिता दी आँख जमाये पलक बिछाये राहों में
टूट रही उम्मीद मिलन की ज़ालिम अब तो आ जा भी।
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Vaah vaah Badhiyaa …! 😉