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70वां क़दम, आज़ाद हिन्दोस्तान का!
Hindi Poetry |
एक पैग़ाम, ख़ास तौर पर
आज़ादी के नाम
अपने दिल के लाल क़िले
की प्राचीर से…
अब 70वां क़दम है,
आज़ाद हिन्दोस्तान का!
देखो कहीं कोई घुटती सोच तो नहीं है
देखो किसी घुटने में मोच तो नहीं है
अब 70वां क़दम है,
आज़ाद हिन्दोस्तान का!
देखो ज़रा आँख में जाला तो न पड़ा हो
झुर्रियों से ललाट का पाला तो न पड़ा हो
अब 70वां क़दम है,
आज़ाद हिन्दोस्तान का!
देखो हाथ और पाँव कांपते-फूलते न हों
पेट और रीढ़ के बीच कंधे झूलते न हों
अब 70वां क़दम है,
आज़ाद हिन्दोस्तान का!
देखो ज़हन को कहीं किसी मर्ज़ ने न घेरा हो
दिल में जोश ए ज़िंदगी भरता ख़ून का फेरा हो
अब 70वां क़दम है,
आज़ाद हिन्दोस्तान का!
देखो उम्र का कोई असर आज़ादी को थकाए न
साल के दिन पचास हज़ार, मना के भुलाएं न
अब 70वां क़दम है,
आज़ाद हिन्दोस्तान का!
Vishy par badhiyaa andaaz kii saamayik kavitaa
Bahut man bhaayii
hardik badhaaii …! 🙂
bahut bahut dhanyvaad daada…jay hind!