« काश | रेत का घर और सपने » |
मृगया पर हैं आक़ा आये।
Hindi Poetry |
मृगया पर हैं आक़ा आये।
करा शहर में हांका आये।
इन गलियन में मुफ़लिस मरते
करने भला हियां का आये।
निकस रही है रैली वैली
तुम यां मूड़ उठा का आये।
कोऊ न पूछे भीड़भाड़ में
करै परेगो फांक़ा आये।
रथ बिराज युवराज रहिन हैं
जीतन नयौ इलाक़ा आये।