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रेत का घर और सपने

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Hindi Poetry

रेत का घर और सपने
एक जैसे ही है
एक नींद खुलने पर
दूसरा हवा के झौंके से
एक पल में बिखर जाते हैं
अपने सपनों को
खुली आँखों से देखो
रेत के घरों को
चट्टानों में बदलो
और सपनों को हकीकत में
फिर ये जहां तुम्हारा है।
-अनिल डी

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