« मृगया पर हैं आक़ा आये। | मेरे पी एम की भुजाओं के बीच में 56 इंच का सीना………………….. » |
रेत का घर और सपने
Hindi Poetry |
रेत का घर और सपने
एक जैसे ही है
एक नींद खुलने पर
दूसरा हवा के झौंके से
एक पल में बिखर जाते हैं
अपने सपनों को
खुली आँखों से देखो
रेत के घरों को
चट्टानों में बदलो
और सपनों को हकीकत में
फिर ये जहां तुम्हारा है।
-अनिल डी