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कवि का परिचय
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ना मेरी कोई जाती है ,ना कोई धर्म
ना मैं अपना उदभव जानती हूँ ना पराभव
अंत तो हुआ है मेरा परन्तु समापन उत्थान की ओर है!
कितनी ही नदियाँ पर्वत और तूफ़ान लाँघ गयी
परन्तु परिवर्तन अभी व् पूर्ण विराम पर है !!
(Y) Sundar abhivyati …! 🙂
Dhanyabaad Sir 🙂