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माँ
Hindi Poetry |
कभी मेरी भी माँ होती थी
हँसता था,वो हँसती थी
में रोता था,वो रोती थी
कभी मेरी भी माँ होती थी
होंसला देती आँचल में लेती
मेरे सपनों की माला पिरोती थी
कभी मेरी भी माँ होती थी
अँधेरा होता जब ज़िंदगी में
वो ही तो मेरी ज्योति थी
कभी मेरी भी माँ होती थी
छोटा था या में बड़ा हुआ
प्यार किए बिना नहीं सोती थी
कभी मेरी भी माँ होती थी
<3 Very sensitive lovely poem indeed….!
“And in the deepest core of our heart,
resides always lovingly alive, with our dad, our mom ….!
Hearty commends for the poem ….! 🙂
!
Thank you Sir