« माँ | मुझे क्या चाहिए !!! » |
‘माँ’
Hindi Poetry |
‘माँ’
‘माँ’
है एक छोटा-सा शब्द,
लेकिन इस एक शब्द से
जुड़ा है हमारा अस्तित्त्व,
इस एक शब्द में
सिमटा है हमारा अनोखा संसार ।
माँ है जन्म देने वाली जननी,
त्याग और सहनशीलता की मूरत,
माँ है अन्न देने वाली अन्नपूर्णा
और निश्छल प्रेम की नेक सीरत ।
माँ वो हस्ती है,
जो हमारे कण-कण में बसती है ।
माँ वो नींव है,
जो हमें परिवार से बांधे रखती है ।
माँ वो आसमां है,
जिसके साये मेँ हमारे नन्हें परों की ऊंची उड़ान है ।
माँ वो दुआ है,
जिससे रोशन हमारे सपनोँ का जहाँन है ।
खुद गीले में सो कर
बच्चों को सूखे मेँ सुलाती है माँ,
खुद भूखी रह कर
हमें खाना खिलाती है माँ,
अपनी ख्वाहिशों को कर नज़रअंदाज़
हमारी हर एक ख्वाहिश पूरा करती है माँ,
अपनी हर तकलीफ को
प्यारी-सी निश्छल मुस्कान से छिपाती है माँ ।
ऐसे ही नहीं कहते हैं सभी
कि माँ के चरणों में स्वर्ग होता है,
सच तो यही है
कि धरती पर जन्नत की सैर कराती है माँ ।
– सोनल पंवार
जिस नज़र सेभी देखो ममता व त्याग की मूरत ही दिखती है माँ। बहुत सुंदर!
Thank you.
Ati sundar rachanaa aur abhivyakti…!
“माँ वो दुआ है,
जिससे रोशन हमारे सपनोँ का जहाँन है ।” sandarbh me bahut badhiyaa
Bahut manbhaayi….! 🙂
Thank you sir for ur valuable comment.