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जो चट्टान दिखता, रुई दर असल है
Hindi Poetry |
यहाँ जो भी है मसनुई दर असल है masnui-banavati
जो चट्टान दिखता, रुई दर असल है
चले दिल में क्या ये न चेहरा बताता
मगर थोड़ी सुगबुग हुई दर असल है
जो तू है वो मैं हूँ जो मैं हूँ वो तू है
दुई जो दिखे ना दुई दर असल है dui-dvait,atam aur parmatma do hain
दिखावे में दोनों हैं माहिर निराले
दिलों में मुहब्बत मुई दर असल है mui-dead
नज़र आएं तुमको जो पानी के रेले
नदी तो नहीं बालुई दर असल है
मिली जब से नज़रें, रहे हम नहीं हम
तुम्हारी नज़र जादुई दर असल है
चलाते वहां आप तलवार क्यूँ हैं
जहाँ सिर्फ कामिल सुई दर असल है kaamil-successful