« जो चट्टान दिखता, रुई दर असल है | कौन करे ?? » |
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चाहत में किसी की खोने से।
दिल सोच तू पहले रोने से।
चुप साध के वो आवाज़ तो सुन
उठती है जो दिल के कोने से।
ले जान ज़मीर जो बेंच रहा
ये दाग़ न मिटता धोने से।
चाहे जो कि समझें पाक सभी
क्यों करता काम घिनौने से।
सत्ता के शिखर पर हैं दिखते
क्यों बता हिमालय बौने से।
कहीं साँच की आँच न ख़ाक करे
ये सारे ख़्वाब सलोने से।
(Y) Vaah, Ati sundar, commends.
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