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कहाँ से कैसे कविता आये ….!
Hindi Poetry |
कहाँ से कैसे कविता आये ….!
सुबह सुबह वो यूं जब आये,
जल्दी में ही मैं लिख लेता,
कविता का ये ऐसे आना,
मन को खुशियों से भर देता ….!
कहाँ से कैसे कविता आये,
नहीं समझ कुछ अबतक आया,
कहाँ वो बसती, कहाँ को जाए,
भ्रम में हरदम खुद को पाया ….
हर कविता से इश्क है मेरा,
मन इस इश्क में डूबा रहता,
जब वो आती मैं लिख लेता,
जब ना आती, बाट ही तकता ….
प्यार अन्य की कविताओं को
पढ़ कर मैं हरदम खुश रहता,
हर अच्छी कविता लगती है,
जैसे वो है मेरी प्रेमिका …!
कविता के इस प्यार में यारों,
कितना सुख मैं पाता रहता,
नहीं समझ आयेगा उसको,
जो कविता से प्यार न करता ….!.
तुम तो यारों समझ गए हो,
मुझको तो बस लिखना आता,
जो कुछ ये मैं लिख पाता हूँ
कविता का है किया कराया ………!
” विश्व नन्द ”
Glad to see you active on p4poetry. Best wishes
Thank you so much for your comment. Wish & look forward that you also get into some mood to post your poems too here…! 🙂
Very nice poem sir.
Regards-
Sonal.
Thank you so much, sonal …!