« कितनी बातें कहना चाहूँ …. ! | दोज़ख़ » |
क वि ता ..!
Hindi Poetry |
क वि ता ..!
कहाँ से कैसे, जाने कैसे, ये आ जाती,
विविध विषय पर कवि से खुद ही लिखवा लेती,
तारीफ़ को फिर तरसती रहती ..!
“विश्वनंद”
« कितनी बातें कहना चाहूँ …. ! | दोज़ख़ » |
Hindi Poetry |
क वि ता ..!
कहाँ से कैसे, जाने कैसे, ये आ जाती,
विविध विषय पर कवि से खुद ही लिखवा लेती,
तारीफ़ को फिर तरसती रहती ..!
“विश्वनंद”
I appreciate your enthusiasm to pen poems regularly. All the best for Happy New year.
Kusum
True…:-)
Very nice sir.🙏
Regards
Sonal
Very nice poem