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मिलने की आरजुएं
Hindi Poetry |
मिलने की आरजुएं ,दिल में मचल रही है /
ख्वाइशे मेरे मन की,तेरे मन भी पल रही है /
बैचैनिया भरी है ,विरही इस बदन में /
तन्हाइयो की आग जलती है इस बदन में /
सीने में मेरे जलन ,तू भी जल रही है /
मिलने की आरजुएं ,दिल में मचल रही है /
मै भी न सो पाता ,आती ना तुझको नींदे /
समभाव हो गए है ,सम्भावनाये पल रही है /
मिलने की आरजुएं ,दिल में मचल रही है /
आओगे सामने तो ,हम बात क्या करेंगे ?
अपलक देखोगे हमे ,हम तुमको निहारेंगे /
चाहत मेरे दिल की ,तेरे दिल में भी चल रही है /
मिलने की आरजुएं ,दिल में मचल रही है /
30/10/2017
बहुत सुन्दर रचना
Dhanywad Sir
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