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धागे अपने दरम्यान
Hindi Poetry |
बुन गए हैं जो
धागे अपने दरम्यान
कुछ फंदे उल्टे हैं तो
कुछ सीधे भी पड़ते हैं
दोनों से मिल के ही तो बनती है
रिश्ते की पोशाक
हो हल्की फुल्की बात की
नर्म शॉल
या सर्द किसी मौसम में गर्म
जज़्बात का स्वेटर
नाम जो हो, ये रिश्ते की पोशाक
काम जो करती है, वो ख़ास है
आम नहीं
हो अपनी अस्मत, या तबियत
या शख़्सियत
इसी से क़ायम रहते हैं अपने
वजूद के निशान
चलो बुनते रहें यूँ ही ये
धागे अपने दरम्यान