« धागे अपने दरम्यान | || ख़्वाब इतने भी नहीं हल्के, के टूट जाएँ तो दिल छलके || » |
मैं
Hindi Poetry |
मैं
बस मैं था
और सब मेरे थे ।
उसके बाद –
बस मैं था
और मेरा “मैं” था ।
अब
बस मैं हूँ
और सिर्फ मैं हूँ ।
« धागे अपने दरम्यान | || ख़्वाब इतने भी नहीं हल्के, के टूट जाएँ तो दिल छलके || » |
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मैं
बस मैं था
और सब मेरे थे ।
उसके बाद –
बस मैं था
और मेरा “मैं” था ।
अब
बस मैं हूँ
और सिर्फ मैं हूँ ।