« Friends | अक्षर-अक्षर जोड़ लिखा है… (गीतिका) » |
हकीकत
Hindi Poetry |
इस युग में हकीकत को फसाना,
और फसाने को हकीकत बना देते हैं।
कान और आँख की औकात क्या है
मुर्दे को जिंदा और ज़िंदे को मुर्दा बना देते हैं।
इसलिए मैं आँख-कान वालों से कहता हूँ
इन पर इतना भी विश्वास न करो
कि अपनों को पराया
और परायों को अपना समझो।