« यह हिन्द का मज़दूर है! | Irada » |
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है…!
Hindi Poetry, Podcast |
तेरे ही आसपास……!
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है,
कल्पना कवि की है, वंचना कवि की है,
वंचना कवि की है, वंदना कवि की है ……..!
तू स्फूर्ति है कवि की, प्रणयमूर्ती तू ही है,
तू ही कमी कवि की, और तू ही पूर्ति है
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है………!
कितने कवि जगाये तूने, उच्चपद चढा दिए,
कितने कवि बनाए, जो कि बन के व्यर्थ हो गए,
तू ही तो उदय कवि का, तू ही तो अस्त है,
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है……..!
तूने खिलाये फूल ही तो कविह्रदय मे खिल रहे,
तूने कभी यही चमन उजाड़ दिया है,
तू आस है कवि की, और तू ही प्यास है,
तू ख़त्म हो सके न ऐसा उपन्यास है….
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है……..!
तू मित्र है कवि की और तू ही शत्रू है,
तू वफ़ा बेवफाई का संगम पवित्र है,
ये कवि का गीत है, और ये नारी का रूप है,
ये कवि का रूप है और ये नारी का गीत है,
भगवन ने जो रची है, कविता, तू ही तो है….
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है
” विश्व नन्द ”
Vishwanandji
Im visiting p4poetry after a long time gap.
Glad to see your poem on Kavita iself.
Poetry is your life, your heart and body and soul.
Your very existence
Be blessed.
.
Kavita ki Gangotri, kavi ki Ganga!
एक कवि की कल्पना से ही सृजित होती है नित नई कविता,
आप जैसे श्रेष्ठ कवि की कल्पना के आसपास है रहती एक बेहतरीन कविता।
Very nice poem sir🙏
Regards – sonal
कवि के कवित्व को बचाना बहुत मुश्किल यह रचना यही भाव दर्शातो है
Very nice 🙂