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संशय है
Hindi Poetry |
संशय है
लेखक पर
पड़े न कोई छाप
लेखक पर
पड़े न कोई छाप
पुरखों की सब धरीं किताबों
को पढ़-पढ़ कर
को पढ़-पढ़ कर
भाषा को कुछ नमक-मिर्च से
चटक बना कर
विद्या रटे
बने योगी के
भीतर पापराह कठिन को सरल बनाये
खेमेबाजी
जल्दी में सब हार न जाएँ
जीती बाजीक्षण-क्षण आज
समय का
उठता-गिरता ताप
भीतर पापराह कठिन को सरल बनाये
खेमेबाजी
जल्दी में सब हार न जाएँ
जीती बाजीक्षण-क्षण आज
समय का
उठता-गिरता ताप
शोधों की गति घूम रही
चक्कर पर चक्कर
अंधा पुरस्कार
मर-मिटता है शोहरत पर
संशय है
ये साधक
सिद्ध करेंगे जाप।