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भक्ति सुख ….!

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Hindi Poetry
 

भक्ति सुख ….!

तेरी भक्ति में सुख कितना कैसे ये समझाऊँ मैं
नयनों से सुख अश्रू छलके, लोग कहें क्यूँ  रोऊँ मैं …..

मंदिर मस्जिद चर्च में तू है,  हिर्दय में भी सबके तू,
लोग कहें तू कहीं न मिलता कैसे ये क्यूँ मानू मैं ….

तू ही जीवन राह सँवारे, तुझमे मुक्ति जीवन है,
ज्ञान यही जो हुआ मुझे है, भय चिंता से दूर हूँ मैं ….

सबकुछ तू है, मैं भी तेरा, पास तेरे जाना है सब,
तुझको मेरा सबकुछ अर्पण, भक्ति में सब पाऊँ मैं ….

तेरी भक्ति में सुख कितना कैसे ये समझाऊँ मैं
नयनों से सुख अश्रू छलके, लोग कहें क्यूँ  रोऊँ मैं ….

” विश्व नन्द ” .

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