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प्रेमी की व्यथा….!
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This Hindi poem has been composed as a situational Love Song.
An upset & dejected lover is lonely, sitting on a sea-shore watching waves coming & caressing the rocks which remain unmoved.
प्रेमी की व्यथा….!
लहरें आती है रूम झूम,
चट्टानों से प्यार जताने,
चट्टाने तो अटल खडी,
ना माने लहरों की बातें .
कैसे मानूँ मै तुम म्रदु हो,
जब तेरा दिल है पत्थर,
चट्टानों से बढ़कर,
चट्टाने तो थोड़ी घिस घिस जाती हैं,
तुझ पर तो कुछ असर नहीं होता…….!
थक गया हूँ अब प्यार में तेरे,
कभी तो करते याद मेरी,
दिन पर दिन यूं बीत गए,
कभी प्यार से तुमने बुलाया नहीं,
मुझे प्यार से कभी पुकारा नहीं……!
जाने कैसी ये महफिल है तेरी,
जिसमे दिल की कदर कुछ नहीं,
जैसे भंवरे कई हैं चमन में,
कली को न परख है किसीकी,
प्यार मेरा पहचानोगी,
ये आशा है बेकार मेरी,
दिन पर दिन यूं बीत गए,
कभी प्यार से तुमने बुलाया नहीं,
मुझे प्यार से कभी पुकारा नहीं……….!
थक गया हूँ अब प्यार में तेरे,
कभी तो करते याद मेरी,
दिन पर दिन यूं बीत गए,
कभी प्यार से तुमने बुलाया नहीं,
मुझे प्यार से कभी पुकारा नहीं……!
“VishVnand”
Dear Vishwanandji
Very emotional and deeply touching poem straight from your heart . Keep going . All the best
Kusum Gokarn
आदरणीय विश्वनन्दजी,सादर अभिवादन।
एक दशक बाद आज पटल पर आया हूँ ।
पटल के सभी साथियों को नमस्कार ।
लम्बे अरसे बाद आज आपकी रचना का आनंद लिया । सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद ।
शीघ्र ही अपनी रचना के साथ पटल पर आऊंगा । 🙏
Very nice poem Sir.
Regards
Sonal.