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” पिता – हमारी पहचान “
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पिता का साया है वो आसमान ,
जिन पर बसते हैं हमारी
ख्वाहिशों के अनगिनत नन्हें सितारे ,
पिता का प्यार है वो बादल ,
जिनकी बारिश में खिलते हैं
खुशियों के फूल हमारे ,
पिता का आशीष है वो तारा ,
जो खुद टूट कर भी
सपने कर दें साकार हमारे ,
पिता का साथ है वो प्यारा संबल
जो हर कदम पर थामे रहे
अस्तित्त्व को हमारे ,
पिता वो आसमान है, वो बादल है,
वो तारा, वो प्यारा संबल है,
पिता ही हमारा स्वाभिमान,
पिता ही हमारी पहचान हैं।
- सोनल पंवार
Good poem as a tribute to a father who shelters and protects, nurtures and guides his family.
Kusum
Thank u Ma’am for ur appreciation.
Regards- Sonal.