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मोहब्बतें
Hindi Poetry |
कुछ ख़रीदारी हम भी कर लें, सोचता हूँ हरपल
सुना है मोहब्बतें बिकतीं है, चौराहों पर आजकल
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कुछ ख़रीदारी हम भी कर लें, सोचता हूँ हरपल
सुना है मोहब्बतें बिकतीं है, चौराहों पर आजकल
Vaah, Badhiyaa… commends..!