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” नारी- ख़ामोशी नहीं स्वाभिमान है “
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नारी तू स्वाभिमान है, प्रेरणा है,
सम्मान है,
तू आदिशक्ति है, अन्नपूर्णा है,
देती जीवनदान है।
ख़ामोशी की बंदिशों को तोड़ कर
उन्मुक्त उड़ान तू भर
पंख फैलाए खुले आसमान में
सारी दुनिया फतह तू कर,
अपनी ख्वाहिशों को दे अंजाम,
छू ले आसमान।
नारी तू स्वाभिमान है, प्रेरणा है,
सम्मान है,
तू आदिशक्ति है, अन्नपूर्णा है,
देती जीवनदान है।
ख़ामोशी के दामन को थाम कर
तू रुक मत, तू झुक मत,
कर बुलंद अपनी आवाज़,
रख हौंसला कर विश्वास
तू हिम्मत मत हार,
आगे बढ़ अपनी काबिलियत के दम पर
खुद को दे नई पहचान।
नारी तू स्वाभिमान है, प्रेरणा है,
सम्मान है,
तू आदिशक्ति है, अन्नपूर्णा है,
देती जीवनदान है।
– सोनल पंवार
Very inspiring poem boosting up the morale of women which they rightly deserve.
Best wishes
Kusum
Thank u so much Ma’am 🙏🙏