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” मेरी प्रेरणा मेरे पिता “

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वटवृक्ष की विशाल छांव-सी,
पिता के स्नेहाशीष तले
पल्लवित एक कोमल टहनी थी मैं,
मुझे एक सशक्त शाख है बनाया
पिता के प्रेम और विश्वास ने,
एक दृढ़ स्तंभ बनकर सदा
अपने विशाल हाथों का देकर संबल,
मेरे नन्हें कदमों को दिखाई सही दिशा
पिता के अनुभव और मार्गदर्शन ने,
आस की किरणों से प्रदीप्त जीवन
और कोमल फूलों-सी देकर मुस्कान,
विनम्रता और सच्चाई की दी नेक सीख
पिता के उच्च विचार और आदर्शों ने,
मेरी सारी कमियों को कर नज़रंदाज़
हर पल रखा मेरे सर पर अपना
स्नेहिल दुआओं से भरा हाथ,
दी हर राह पर मुझे हिम्मत और हौंसला
पिता की प्रेरणा और उनके आशीष ने।
अपने विश्वास, मार्गदर्शन और आशीष,
अपने आदर्श और स्नेहपूर्ण सानिध्य से
मेरे जीवन को सदा खुशियों से
पुष्पित और पल्लवित करते हैं पिता,
मेरी ताकत, मेरे आदर्श, मेरा सम्मान
मेरी पहचान, मेरा स्वाभिमान,
मेरी प्रेरणा हैं  ‘मेरे पिता’ ।

– सोनल पंवार ✍️
स्वरचित एवं मौलिक

4 Comments

  1. kusum says:

    Dear Sonal
    Very well expressed poem on Father’s Day.
    God bless you.
    Kusum

  2. Vishvnand says:

    +Very sweet & meaningful indeed; Hearty commends, 4 stars from me..!

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